सैकड़ों साल पुराना है मां चामुंडा देवी का यह चमत्कारी मंदिर… जानिए इसका पूरा इतिहास
नमस्कार दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में इतने सारे मंदिर हैं जिनकी ऊंचाई सैकड़ों साल का ऐतिहासिक महत्व समेटे हुए है? आज हम आपको एक ऐसे मंदिर की यात्रा पर ले चलेंगे जिसका नाम है ‘मां चामुंडा देवी मंदिर’। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और इसके पीछे एक अद्भुत इतिहास छिपा है।
देवी मां के नवरात्र चल रहे हैं. उनसे जुड़ी कई अनोखी कहानियां सामने आ रही हैं। आगरा के राजा मंडी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर मां चामुंडा देवी का अद्भुत और चमत्कारी मंदिर मौजूद है। इस मंदिर से कई चमत्कारी घटनाएं और कहानियां जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर 350 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर के चमत्कार के आगे अंग्रेजों ने भी घुटने टेक दिए थे।
एक किवदंती जो आज भी लोगों की जुबान पर है वो ये है कि ये मंदिर उस समय से मौजूद है जब देश में अंग्रेजों का नामोनिशान नहीं था. लेकिन जब अंग्रेज देश में आए तो उन्होंने इस मंदिर को तोड़कर यहां से रेलवे लाइन बिछानी चाही। लेकिन वह सफल नहीं हो सके और हार मानकर ट्रेन को पलट कर मंदिर को बचाना पड़ा, जो आज भी मौजूद है।
मंदिर के महंत वीरेंद्रानंद बताते हैं कि उस समय अंग्रेज अधिकारियों ने कई बार मंदिर को तोड़ने की कोशिश की थी. यहां से गुजरने वाली ट्रेन को सीधा पकड़ना चाहता था। लेकिन मंदिर आड़े आ रहा था. जिसके कारण अंग्रेज अधिकारी इस मंदिर को तोड़ना चाहते थे। मंदिर के महंत बताते हैं कि उस समय अंग्रेज कमांडर घोड़े पर सवार होकर इस मंदिर को तोड़ने आए थे। माता के चमत्कार से घोड़ा गिर गया और उसका पैर टूट गया।

चामुंडा देवी – एक पोषणकर्ता और रक्षक
आपको यह जानकर दिलचस्पी होगी कि मां चामुंडा देवी का मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह साक्षरता का भी प्रतीक है। इसे एक शिक्षा केंद्र के रूप में भी जाना जाता है, जहां लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अध्ययन करते हैं।
माँ चामुंडा का इतिहास
मां चामुंडा देवी का मंदिर एक खूबसूरत पहाड़ी स्थल पर स्थित है, जो हिमाचल प्रदेश में धलौशी के पास स्थित है। इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है और यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
सिम्भु की पुत्री चामुंडा की कहानी
इस मंदिर की प्रमुख देवी देवी चामुंडा हैं, जिन्हें भगवान शिव की विशेष शक्ति माना जाता है। उनकी कहानी दुष्ट राक्षस रक्तबीज के खिलाफ उनकी लड़ाई का वर्णन करती है, जिसमें वह उसे हरा देती है।
मंदिर की विशेषताएं
इस मंदिर की खासियत यह है कि यह पहाड़ों के बीच स्थित है, जिसके कारण यहां का मौसम हमेशा सुहाना रहता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक है और पर्वतीय यात्रा के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान है।
मंदिर संरचना
इस मंदिर की संरचना भी काफी मान्यता प्राप्त है। इसके प्रमुख मंदिर के बाहर छत्तीसगढ़ जैसी छत है जिसे ‘छत्तानी’ कहा जाता है और यह देखने लायक है।
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